एक कविता पेश कर रहा हूँ। यह कविता मैने मनन live TV पर आप लोगों को सुनायी थी।
एक शाम और ढली
हाथ में जाम है।
यादों का कारवाँ है
ये हँसी शाम है।
मोहब्बत का सवाल है
दिल में ख़्याल है।
रात अब ढलेगी
यादें फिर उभरेंगी।
उभर उभर तेरी बातें
रात भर चलेंगी।
खामोशी मेरी चीख चीख
अब तुझे बुलाती है।
याद तेरी दिल में
तितली सी गुदगुदाती है|
मोहब्बत की शाम है
हाथ में जाम है।
यादों का कारवाँ है
ये हँसी शाम है।
Shandar poem h bhai😊😊